Monday, September 7, 2015

नज़र मिली झुकाके निगाह वो चला गया इक सवाल के जवाब कई छोड़ गया !







कलम से_____

6th September,2015/Kaushambi

न जाने क्या ख़ास था उसमें 
जो मेरा यह हाल कर गया !

अजीब शक्स था ख्वाब कई छोड़ गया
दिल में वो ख़ास इक जगह बना गया !

नज़र मिली झुकाके निगाह वो चला गया
इक सवाल के जवाब कई छोड़ गया !

पता था उसे तन्हा न रह सकूँगी मैं
गुफ्तगू के लिए महताब छोड़ गया !

गुमान हो मुझे उस पर काम वो कर गया
कैसी है पहेली जो अनसुलझी छोड़ गया !

बुझते हुये चराग रौशन वो कर गया
हरेक दरीचे पर आफताब छोड़ गया !

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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