Sunday, August 23, 2015

हर प्रार्थना में मैंने तुम्हें जो पुकारा है....




कलम से____

प्रेम के बन्धन में तो तुम बंधे नहीं
मन्नत के धागे से बांध लूंगी मैं
लेके तेरा नाम लपेट दिया है 
धागा तेरे चारों ओर

विश्वास था बहुत
अपने आप पर
तुम्हीं इक ऐसे निकले
गुरूर जिसने मेरा तोड़ा है
कोशिश रहेगी मेरी सदा
फलक तक ढूँढ़ने की तुझे
दीवाना सा बना के तू दूर बैठा है
बांध लूँगी तुझे मैं अपनी सांसो में
सांसो से फूँक कर मैंने
धागा मन्नत का एक बांधा है
धागे से बंधे से चले आओगे तुम
हर प्रार्थना में मैंने तुम्हें जो पुकारा है....

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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