Wednesday, July 15, 2015

एक नीम अपने आगंन हो होती है इच्छा सबकी




कलम से _ _ _ _

एक नीम अपने आगंन हो
होती है इच्छा सबकी
रह जाती है कुछ की आधीअधूरी
कुछ की होती पूरी

कलुआ जाटव का आंगन है खाली
एक पेड़ नीम का हो इच्छा है भारी

विरवा होगा तो चिडियां आएंगीं,
आशाएँ जीवन की पूरी हो जाएंगी

नीम तले खाट बिछा अच्छा है लगता
नीदं आए गहरी और मजा खूब है आता

उधार किस किस का कब है देना
चिंता इसकी बिल्कुल नहीं सताती

नीम का एक विरवा जो मैं लगाऊँगा,
फल उसका पीढ़ी दर पीढ़ी पाऊँगा

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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