Sunday, June 7, 2015

"चाँद पर चलने की ख्वाहिश है मेरी",


"चाँद पर चलने की ख्वाहिश है मेरी",
बेटी ने माँ से कहा।

झट से पानी गिरा फर्श पर माँ ने चाँद को उतार कर कहा, "आ कर ले, तू अपने मन की।"

(यह वास्तविक घटना पर आधारित है, एक रात की बात है मैं तो सो गया था पर कुहू ने अपनी मम्मा( दादी ) से कहा वह एक दिन चाँद पर चलेगी। और फिर तब कुहू की मम्मा ने झट से चाँद जमीं पर उतारा)

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment