Tuesday, May 5, 2015

पतझड के बाद, नई कोपलें मन को भाने लगीं है,


पतझड के बाद,
नई कोपलें मन को भाने लगीं है,






कलम से ........

पतझड के बाद,
नई कोपलें मन को भाने लगीं है,
पेड़ों पर रंगत आने लगी है,

अगंड़ाई मौसम लेने लगा है
दुपहरिया गरम अब होने लगी है,
हवाओं का रुख भी बदलने लगा है,
न बदला और न बदलेगा,
बस एक उनका रुख,
उम्मीदेवफा कायम है अभी
वो सुबह फिर आयेगी
तू लौट फिर एक दिन आयेगी
यादों को नया जीवन दे जायेगी.......

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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