Tuesday, May 5, 2015

चंबे दी इॅक कुड़ी,



कलम से____

चंबे दी इॅक कुड़ी,
दा व्याह,
दिल्ली दे इॅक मुँडे,
नाल हो गिआ,
अोहदे नाल समझो,
वड्डा गुनाह हो गिया;
अोहदी तबियत दिल्ली विच नइंयों लगदी,
हाय अो रॅब्बा, हुण की करे,
चंबे जावै जां दिल्ली रवै।।
दिल्ली रवै तां अोहदा दिल ना लॅग्गे,
हर वेले अो चंबे नूँ याद करे,
हे जगदम्बे माँ,
सुब्हो-शाम इॅको गॅल करे,
तॅुस्सी कॅुझ वी करो,
सानूँ कॅुझ नी जे चाहीदा,
बस चंबे वापस लै चलो


©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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