Thursday, May 28, 2015

माटी के भी दिन फिरने वाले हैं


Moment's maker

माटी के भी दिन फिरने वाले हैं
सोहनी-महिवाल जैसे दिन फिर लौटने वाले हैं
सुराही गुल्लक फिर बाजार में दिखने जो लगे हैं
यह बाजार ही तो है भाव गिराता-बढ़ाता है
बाजार चाहे तो मिट्टी को सोना बना दे
नींद नयनों की अच्छे-अच्छों की उड़ा दे।

इस गर्मी के सीजन में कुछ तो अजीब होने वाला है
तरबूज बीस रुपये
खरबूजा पचास रुपये
लीची अस्सी रुपये
बेल का शर्बत दस रुपए
आम अभी आया नहीं है
लगता है वो भी अस्सी रुपये
नीचे नहीं रहने वाला है.....

सब्जियों में आग लगी है
दिलों में ठंडक जो पड़ी है....

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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