Saturday, April 25, 2015

जिंदगी देखते-देखते किसी और की हो जाती है...

एक धड़कन दूजे से मिल असरदार हो जाती है,




कलम से .......

22nd April, 2015/ Kaushambi, Ghaziabad

ऐसा कैसे होता है, 
जिंदगी देखते-देखते किसी और की हो जाती है,
एक धड़कन दूजे से मिल असरदार हो जाती है,
ऐसा कैसे होता है,
जिंदगी देखते-देखते किसी और की हो जाती है।

खाते है कसम ऐसा न होने देंगे,
जिंदगी वेबस्ता मुश्किलात मे बदल जाती है,
ऐसा कैसे होता है,
जिंदगी देखते-देखते किसी और की हो जाती है।

मौत आने से पूँछेंगे दुबारा आना कब होगा,
जबाब मिल जाए तो अच्छा न मिले तो भी अच्छा,
कहने को तो होगा यही,
चलो अच्छा हुआ जो भी हुआ,
मौत को आना ही था एक दिन,
अब ए जिंदगी उनकी हुई जाती है,
ऐसा कैसे होता है,
जिंदगी देखते-देखते 
किसी और की हो जाती है...
 

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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