Thursday, February 5, 2015

चर्चा एक राजनीतिक पार्टी के मैनेजर और कार्यकर्ता के बीच की है।



कलम से____

दम भरते भरते थक गए हैं हम
अब कुछ देर सो लेने दो यारो
कब तक दौड़ाओगे भैय्या
दौड़ते दौड़ते हार गए हैं हम।

दो दिन की बात और है
बस मंजिल करीब है
हिम्मत न हार यार
ले लेना एक के दो या चार।

अब नहीं चल पा रहे हैं हम
कदम कदम पर हैं मुश्किल खड़ी
नारे लगाते लगाते आवाज भी थमी
गला पूरी तरह हो गया है जाम।

इस चुनाव में है इज्जत दावं पर
देख भाई अभी हिम्मत न हार तू
आज शाम की रैली है बहुत बड़ी
कट जाएगी नाक भीड़ गर न जुटी ।

माफ करो मालिक अब छोड़ दो
मज़दूरी से हमें अब मुक्त कर दो
समझले तुझे नहीं छोड़ा जाएगा
पेमेंट आखिर दिन ही मिलेगा।

उपरोक्त चर्चा एक राजनीतिक पार्टी के मैनेजर और कार्यकर्ता के बीच की है।

©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/

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