Tuesday, December 30, 2014

सोचने से क्या होगा

कलम से____
सोचने से क्या होगा
काम कुछ करना ही होगा
आज कुछ और नहीं है
चलो अपने से ही बातें करते हैं
अपने गुजरे वक्त से
कुछ कीमती छण निकालते हैं !!!
याद आ रहे हैं
बचपन के दिन
जब पहले पहल स्कूल गये थे
क्या हसीन पल थे
कई नये साथी बन गये थे
खेलते कूदते दिन
कट जाते थे
आज वक्त काटे नहीं कटता
पल एक एक भारी सा लगता !!!
बचपन बीता
यौवन आया
खेलकूद में वक्त खूब बिताया
किसी ने कुछ ऐसा कर दिया
जो आज तक भुलाया न गया
बस मीठी सी याद है जो रह गई
उस वक्त के कुछ लोग आज भी
जब मिलते हैं फूल गुलशन में
फिर से खिलने लगते हैं !!!
जीवन की आपाधापी में
वक्त सरकता गया
मारा-मारी करते
न जाने कहाँ से कहाँ आ गया !!!
इस राकिंग चेयर पर बैठकर
अच्छे बुरे की याद कर लेता हूँ
कुछ और नहीं तो
यादों के सहारे जी लेता हूँ !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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