Tuesday, November 11, 2014

सुबह सुबह।


कलम से------


सुबह सुबह
एक काम करते थे
वह भी बंद हो गया
जीवन
पूर्णरूप से नीरस हो गया।

स्माग इतना अधिक
रहता है
शुद्ध हवा भी
अब नहीं मिलती है।

दूध दही की बात
क्या करें
यहाँ हर चीज
अब नकली मिलती है।

डाक्टर नकली
दवाई और इजेंक्श्न भी नकली
सब्जियों का रंग नकली
हकीकत में
अब जिन्दगी मी नकली लगती है।

कहां जाएं बता दे ए मालिक
जहां नक्कालों से पीछा छूट जाए
खुद के वजूद पर
भरोसा लौट फिर आए।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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