Saturday, November 15, 2014

जाओ हम तुम्हारी बात एकु न सुनेगें।

कलम से____

जाओ हम तुम्हारी बात एकहु न मानेंगे
रूठे हैं तोसें रूठे ही रहेंगे
का भयो राधिके बतइय्यो तो जरा
पतौ तो लगे काज है का
कहनि लगी राधिका मुँह बनायकें
रास खेलवेकों कल चों न आये
हम तुम्हारे इंतजार में बैठे रहे नैना बिछाये
बसि इतत्ती सी बात पै रूठी है मेरी रानी
आओ खेलें रास सखिंयन संग सुनो मेरी वाणी।।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

  http://spsinghamaur.blogspot.in/

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