Tuesday, November 25, 2014

खोज करते करते



कलम से____

खोज करते करते
रात कल वो
 दिख गया
तारों के बीच हँस रहा था
कुछ शरमाता हुआ
प्यारा सा अपना चाँद
आसमान में टकटकी लगाये
मुझे ही देखता हुआ
मिल गया

पूछा जब अकेले हो क्यों
कहने लगा, कहाँ हूँ मैं अकेला 
साथ है यामिनी और चाँदनी
साथ है नभ और तारे यहाँ
साथ है सूरज भी मेरे
 बिना जिसके बजूद मेरा कहाँ
साथ हैं मेरे
टकटकी लगाए देखता यह जहां ...

मेरे पास पत्नी जी भी आ गईं
हाथ उनके अपने हाथ लेकर
हम दोनों निहारते रहे यह समां....

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

  http://spsinghamaur.blogspot.in/

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