Tuesday, October 14, 2014

सागर किनारे।



कलम से____

सागर किनारे 
कभी अकेले हो कर
खुद के भीतर के
अकेलेपन
को खंगालने का अहसास
बड़ा न्यारा है !!

कितने ही ख्वाब 
लहरों पर सूरज की रौशनी में संवर जाते हैं
और 
       कहीं फिर दूर चले जाते हैं
  कुछ रिश्ते मन को गुदगुदा जाते हैं
  कुछ अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं
हकीकत से 
पल भर के लिये ही सही
दूर खुद को किए जाते हैं !!!


//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/


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