Saturday, October 4, 2014

बगल से गुजर रहा था ।

कलम से_____

 ------बगल से गुजर रहा था
धीरे से पुकारा और कहने लगा,
एक फूल ।

   एक रोज़ भर की ही है, जिन्दगी मेरी
शाख से गिर मिट्टी में मिल जाऊँगा....

कद्रदान आज कोई नहीं आएगा
मन्दिरों में भीड़ कम जो हो गई है।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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