Thursday, September 18, 2014

इस गली में शाम से ही आ जाते हैं लोग कुछ दीवाने कुछ थके हुए।

कलम से____

इस गली में
शाम से ही
आ जाते हैं लोग
कुछ दीवाने
कुछ थके हुए
कुछ हारे हुए
कुछ मौज मस्ती के लिए
भीड़ इस कदर हो जाती है
आना जाना दूभर
कोई बहिन बेटी माँ
इधर से निकल नहीं सकती ।

ठेका मिला है
बेचने का शराब
बन गई है गली खुली एक बार
क्या चाहिए
मटन चिकन टिक्का
या बिरयानी
या फिर कबाब
मिलेगा सब यहां ज़नाब।

पुलिसिया इंतजाम बेकार हुआ है
हराम की कमाई का ज़रिया बढ़िया बना है
नीचे से ऊपर तक जाती है सौगात
चुप रहते हैं सभी अफसर देख यह हालात।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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