Sunday, September 21, 2014

ऐसा नहीं होता है कि सब कुछ आजकल गलत हो रहा है ।

कलम से____

ऐसा नहीं कि सब आजकल गलत हो रहा है
कुछ अच्छा बुरा मिलाजुला ठीक हो रहा है।।

गांव में हाँ कह सकते हैं सब ठीक नहीं है
बिजली पानी दवाई की व्यवस्था ठीक नहीं है।।

आखिर वहाँ भी हमारे जैसे इनसान हैं बसते
हक उनको वैसे मिलें जैसे कि शहरों में हैं मिलते।।

बहुत दिनों तक यह घोर अन्याय न चलेगा
ऐसा ही रहा तो वहाँ का किसान शीघ्र ही जगेगा।।

सुधर जाओ ए दिल्ली में रहने वाले हुक्मरानों
हक देश पर तुम्हारा नहीं अब उनका भी चलेगा ।।

शहर के नौजवानों अब तैयार हो जाओ
कुछ रोज़ कभी जाकर गांव में बिताओ।।

दर्द आह का उस दिन महसूस करोगे
दो एक दिन जब तुम खुद भूखे रहोगे ।।

दाने दाने को रहते थे हम कभी मोहताज
शुक्रिया किसान का दो भरा पड़ा है अब अनाज।।

मेहनत रंग लाई है फसल खेत में तब  लहलहाई है
मार हर मौसम की झेलता है वो मिलती तब दूध मलाई है।

उसका भला न अब सोचेंगे तो कब सोचेंगे
पलायन शहर को नहीं रुका खेत तब कौन जोतेंगे।।

शहर में बढ़ती भीड़ को अभी रोकना होगा
रुकी यह न तो हर तरफ कोहराम मचेगा।।

तबाही का मंजर न देखना चाहो मेरे यारो
समय की पुकार पर सबको बदलना ही होगा ।।

शहर और गाँव की प्रगति में सामजस्य बना रहे
विकास का ऐसा माडल हमें तलाशना होगा।।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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