Thursday, September 11, 2014

मेरे ख्वाब तेरे ख्वाब से टकरा गए !

कलम से____

मेरे ख्वाब तेरे ख्वाब से टकरा गए !

मैं पली बड़ी हुई आदर्शों से घिरी हुई
पिता मेरे अध्यापक
अच्छी शिक्षा दीक्षा देकर बड़ा किया
उचित समय जान मेरा विवाह किया
तुमको जाना उन्होंने जैसे दूसरे पिता जानते
अच्छा वर समझ मुझे तुम्हारे साथ विदा किया !

शुरू शुरू में तुमने भी मुझे सब कुछ दिया
धीरे धीरे रंग तुम्हारा बदलने लगा
पैसा और पैसा ही तुम्हारे लिए अहम हुआ
सबंध बिखरे स्वप्न टूटे
तुमने कभी मेरा ध्यान न किया !!

आज मै बिखर रही हूँ
मैं अब वह नहीं रही हूँ
आचार व्यवहार से मैं बंधी हुई हूँ
तुम आज़ाद पंछी बन उड़ रहे हो
आकाश अपने तय कर रहे हो !!!

सामंजस्य टूट गया है
साथ अब निभाने से भी नहीं निभ रहा है
राह तुमने कोई और पकड़ ली है
सोचती हूँ अब मैं क्या करूँ !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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