Friday, September 19, 2014

क्या बेच रहे हो गुरू आजकल।

कलम से____

क्या बेच रहे हो
गुरू आजकल।

पूछ बैठा मेरा एक मित्र
वह भी आसपास से नहीं
सीधे दूर देश अमरीका से।

कहा सपने देखता हूं
अहसास बेचता हूँ
अच्छीखासी हो जाती है
कमाई घर चल जाता है।

लोगों के गम बाटँता हूँ
कुछ अपने सपने उनको देता हूँ
लेनदेन के इस व्यापार में
सब ठीक चल रहा है।

फेसबुक से सुबह सुबह
जुड़ जाता हूँ
कुछ शेर कुछ गज़ल कुछ गीत
लिख जाता हूँ फिर दिन भर
चर्चा में व्यस्त रहता हूँ
नाम मिलता है काम करने से
शांति मिलती है चंचल मन को
सबसे बड़ी विशेषता है
जो करता हूँ अपने चित्त शांतिं के लिए करता हूँ।

मैंने पूछा हाल तेरा कैसा है
कहने लगा बहुत बुरा है
देश की मांटी याद बहुत आती है
सारी कमाई सामने उसके
फीकी हो जाती है।

वापस आकर वही रहूँगा
वही कँरूगा तू जो कर रहा है ।

अहसास बेचने का काम
दूसरों के गम बटोरने का
मिलजुल के बाँटने का
मेरे लिए काम अच्छा है।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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