Friday, September 5, 2014

खालीपन ।

कलम से____

खालीपन
अब सहा नहीं जाता
सुबह सुबह घर बैठा नहीं जाता
पारक आज गीला है
सड़कें पानी से पटी हैैं
निकलें तो कैसे निकलें
अब तो मजबूरन ही सही
बालकनी ही एक सहारा है !

बालकनी में रहेंगे
यहीं बैठेगें
आज अपनी सुबह यहीं बीतेगी
ख्याल कुछ नये नहीं बनेगें
ख्वाब सुबह सुबह दूर ही रहेगें
चल छोड़ यार गम न कर
कर जो तू मन आए कर
कुछ और नहीं
एक प्याला चाय का पानी चढ़ा
चाय बना
और
अखबार का इंतजार कर !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

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