Wednesday, September 10, 2014

मनुवा ।

कलम से____

मनुवा
कभी बैठ सागर किनारे
होजा तल्लीन सुदंर नज़ारों में
मन भीतर की आग को
छींट दे योग के जल से !!

मन आज चल बैठ सागर किनारे !!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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