Friday, September 5, 2014

भीड़ भाड़़ वाली इस दुनियाँ में......

कलम से_____


भीड़ भाड़़
वाली इस दुनियाँ में
हर एक दूसरे को धकिया रहा है
सब विरोधों के बाबज़ूद
आगे, आगे बढ़ जाने में लगा है
जो रूठ गया वह छूट गया
रूठने मनाने का वक्त अब गया
जो भी कहना है
साफ कहो
रहना है साथ रहो
नहीं
तो जो करना है, वो करो !!

मुझे आगे बढ़ना
मुझे बढ़ने दो
तुमको साथ नहीं देना है
मत दो
आसूँ बहाने का
औ' पौंछने का अब समय गया
नया वक्त अब है आ गया !!!

नया वक्त अब है आ गया............

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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