Monday, September 8, 2014

मन भीतर जन्मा था ।

कलम से____

मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बड़ा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में
झूलने
मेरे मेहमान आएगें।

सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत
राग रागिनी गाएंगी।

राधे भी होगी
होगा मेरा कन्हाई भी !!

(भगवान को आप किसी भी रूप में स्मरण करें। सभी रूप उसके मनमोहक हैं।)

//surendrapalsingh//

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