Wednesday, September 10, 2014

ख्वाहिश और ख्वाब ।

कलम से____

ख्वाहिश और ख्वाब
कोई रोक नहीं पाया
दोनों ही रोज़ जमते हैं
मौत भी अपनी मरते हैं।

याद पड़ रहा
एक ख्वाहिश का ख्याल
एक देखा था किसी ने ख्वाब
जिक्र हुआ था
दोनों का अग्रेंजी की किताब !

एक खूबसूरत घर हो
एल्पाइन जंगलों से घिरा
बर्फ से ढ़के हों पहाड
सामने समंदर का किनारा हो
एक अदद खूबसूरत ही नहीं बेहद खूबसूरत
बेगम का मिले साथ
बेटा एक
एक बेटी भी हो
घूमने फिरने को एक फरारी हो
बिजनेस एम्पायर बना हुआ हो
खर्च करने पर रोक न हो
जिन्दगी ऐसी हमारी हो.......
........!!

ख्वाब और ख्वाहिश
का मिला जो साथ
सपने तो बुन ही जाएगें
ख्वाबों में
रेत के महल बन ही जाएगें
मुठ्ठी में लेते ही
रेत से निकल जाएगें !!!

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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