Thursday, September 25, 2014

घना जंगल सुनसान नीरव सनसनाहट करती पवन

कलम से____

घना जंगल
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
छलनी सी छन छन कर
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।

पृक्रति के यह नज़ारे
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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