कलम से____
मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बडा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में उसमें झूलने
मेरे मेहमान आएगें।
सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत
राग रागिनी गाएंगी।
राधे भी होगी
होगा कन्हाई भी
भीड़ लगेगी की भक्तन की
सब मिल बोलें जै राधेश्याम की।
//surendrapalsingh//
http://1945spsingh.blogspot.in/
मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बडा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में उसमें झूलने
मेरे मेहमान आएगें।
सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत
राग रागिनी गाएंगी।
राधे भी होगी
होगा कन्हाई भी
भीड़ लगेगी की भक्तन की
सब मिल बोलें जै राधेश्याम की।
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