Monday, August 18, 2014

कलम से____

मन भीतर जन्मा था
एक विचार
काम पूरा हुआ
लगाया पेड कदम्ब का
होगा जब बडा
झूले उस पर पडेंगे
सावन में उसमें झूलने
मेरे मेहमान आएगें।

सखियाँ पैंग भरेंगी
ढ़ोलक की थाप पर
मल्हार सावन के गीत
राग रागिनी गाएंगी।

राधे भी होगी
होगा कन्हाई भी
भीड़ लगेगी की भक्तन की
सब मिल बोलें जै राधेश्याम की।

//surendrapalsingh//

http://1945spsingh.blogspot.in/

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