Friday, August 15, 2014

यह कहानी है बडी निराली जो जा रहा हूँ मैं आज सुनाने आपको।

कलम से____

मित्रों,
यह कहानी
है बडी निराली
जो जा रहा हूँ मैं
आज सुनाने आपको।

बिहार का था
एक परिवार
जीवन यापन
कैसे होगा
आगे कैसे चलेगा
कर रहा था
गहन सोच विचार।

सपने मैं एक रात
कोई आया
उसने था यह सुझाया
अब न हो पाएगा
कुछ यहाँ तेरा
घर जमीन जो भी है
तेरी चली जाएगी
गंगा मइय्या की
भेंट चढ़ जाएगी
बचेगा कुछ नहीं
जिसे तू अपना कह पाएगा
जा छोड चला जा
मथुरा या काशी।

अगले दिन ही
उसने ऐलान कराया
जो था उसका अपना
अब हुआ पराया
जो देगा अच्छे दाम
उसका होगा मेरा धाम।

बेच बाच सबकुछ
वह आया वृन्दावन
मन बसा लिया था
उसने बृजनन्दन
एक भव्य मन्दिर
उसने बनबाया
बिठा अपने ठाकुर को
मन ही मन मुस्काया।

वाकेंबिहारी की बलिहारी
जीवन उसका चल निकला
आता हर रोज चढ़ावा
पेट सभी का भरता
दिन में रौनक रहती थी
रात में रासलीला होती थी
कान्हा और राधा सखियन संग आते थे
हर रोज भक्त वहाँ श्रद्धालु पुष्प चढ़ाते थे।

भक्ति भाव ने जीवन उद्धार किया
एक पीढ़ी का ही नहीं
आने वाली कई पीढ़ियों बेडापार किया
आज परिणाम है दिखता
राधे राधे कर
उनका जीवन है कटता
काम न कुछ करना पडता
श्रद्धाभाव से ही जीवन है चलता।

राधे राधे। जै श्रीराधे। राधे राधे।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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