Saturday, August 9, 2014

मेरे प्यारे मोर भइय्या

कलम से____

राधिका आज प्रभु के लिए कुछ पक्षीराज मोर से अपने कान्हा के लिए मागँ रही हैं...........

मेरे प्यारे मोर भइय्या
मोरपंख सिर सजै कान्हा कै
मोय आज चहियें तोसूँ
रूठ गये हैं वो मोसूँ
मनाइय लेऊँगी दै कें वाकूँ
सिरमौर सजैगौ जाकें
बस एक मागूँ हो तोसें।

लै लै बहिना लै लै
जो चहियें सो तू लै लै
तू मेरी सखी पियारी है
लागत मोय सिगमें नियारी है।

आँखिन सों आसूँ टपकि रहे हैं
पीर मोर हिय जानें रोय रये हैं
मन ही मन राधे सियाय रयी हैं
कान्हा संग रास रचाय रयी हैं।

लैकें मोरपंख चली राधिके
कन्हाई कौ दै दयो साधकें
लेउ लगाओ धारण करौ
मन सखिंयन कौ हर्षित करौ।

कान्हा बहुत प्यार से मोरपंख ग्रहण कर अपने सिर बिठाते हैं। सभी का अभिनंदन करते हैं।

//surendrapalsingh//
08 10 2014


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