Saturday, August 9, 2014

भूख ने मुझे इन्सान बना रखा है.........

कलम से____


भूख ने मुझे इन्सान बना रखा है.........

इस भूख ने मुझे दिया है
एक नया सोच
कुछ कर ऐसा मिले सभी को भोज
नित नए प्रयोग होते रहैं
बीज नए मिलते रहैं
फसल दिन दूनी हो
लागत भी कम हो
जल जीवन है नष्ट न हो
बूँद बूँद से अन्न ऊगे
मूलमंत्र यही रहे नीति ऐसी बनी रहे।

कृषि प्रधान देश हैं हम
किसान हमारा बहुत अहम है
यह सब हो रहा है
फिर भी उन्नत किसान नहीं है
माल बीच के उडा रहे हैं
फिर भी ध्यान इधर नहीं है।

भूख ने मुझे इन्सान बना रखा है........

दिन अच्छे आने का वादा है
अभी तक कुछ न दिखा है
करो मेरे मित्रों कुछ काम
खाली बैठ न होगा कोई काम
सत्ता के गलियारे में बैठो खाली
अब यह न चलेगा
एक किसान
आखिर पेट तुम्हारा कब तलक भरेगा
जमीन पर आओ
काम करो और नाम कमाओ
खाली नारों से काम नहीं चलेगा।

भूख ने मुझे इन्सान बना रखा है.......

गल्ले रखने के गोदाम बनाओ
जो पैदावार नष्ट हो रही बचाओ
सडते अनाज के दानों पर
राजनीति करना ठीक नहीं है
कृषि को उचित मान सम्मान दिलाओ
यह राष्ट्रीय नीति अभी नहीं है
हक किसान के छीनोगे
जमीन हडप करोगे
ठीक नहीं होगा
खेती बाडी वाली जमीन छीनना
ऐसा करना अपराध बहुत बडा होगा।

याद रहे.....
भूख ने मुझे इन्सान बना रखा है.........

बस इतना करना
मैं इन्सान हूँ
मैं किसान हूँ
इन्सान बनाए रहना ............

//surendrapal singh//
08 09 2014

http://1945spsingh.blogspot.in/




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