कलम से____
आ चल हम अपनी दुनियां में वापस चलें
सपनों का महल छोड हकीकत में लौट लें।
पल दो पल को मिल सब साथ चलें
हम अपने टूटे बिखरे रिश्ते बटोर लें।
टूटी हाँडी में दाल नहीं पकती है
बुझे हुए कंडो में आचं नहीं होती है।
बिकता है बाजार जो मन भाता है
बाकी पडे पडे यूँही सड़ जाता है।
कन्धे से कन्धे रगड कर अक्सर छिल जाते हैं
दिल से दिल मिलने का कारण भी हो जाते हैं।
क्या रखा है यारो बेकार की मारा-मारी में
दिल की बात समझलो आपस की यारी में।
//surendrapal singh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
आ चल हम अपनी दुनियां में वापस चलें
सपनों का महल छोड हकीकत में लौट लें।
पल दो पल को मिल सब साथ चलें
हम अपने टूटे बिखरे रिश्ते बटोर लें।
टूटी हाँडी में दाल नहीं पकती है
बुझे हुए कंडो में आचं नहीं होती है।
बिकता है बाजार जो मन भाता है
बाकी पडे पडे यूँही सड़ जाता है।
कन्धे से कन्धे रगड कर अक्सर छिल जाते हैं
दिल से दिल मिलने का कारण भी हो जाते हैं।
क्या रखा है यारो बेकार की मारा-मारी में
दिल की बात समझलो आपस की यारी में।
//surendrapal singh//
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