Wednesday, August 6, 2014

उडान

एक कबूतर और कबूतरी
मेरे घर के बिन्डो एसी
पर आते हैं
रुकते हैं
रात यहीं
गुजारते हैं।
सुबह सुबह
आज मेरी निगाह उन पर पडी
पौ होने के आसपास
दोनों उठे
पंख फडफडाए
चोंच से परों को सहलाया
रात भर शान्त बैठने के बाद
बदन को फुर्ती प्रदान करने को
लंबी उडान भरने से पहले
दाना पाना की तलाश
पर निकलने के पहले
अंगडाई ली
और जब बदन खुल गया
उड गए लंबी उडान पर
आशाओं की ओर
प्रीत की भोर।
मित्रों,
उठो
आप क्या सोच रहे हो
चाय बना खुद पियो
सहभागी को उठा
उसको भी दो
बाद उसके एक नजर
आसमान पर डालो
आते जाते रंगो को निहारो
पक्षियों को हवाओं के साथ
उडते आकाश में गोते लगाते
एक उडान आप भी भर लो
थोडा सा आसमां अपना कर लो
आज कंहा कंहा जाना है
तय कर लो।

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