Wednesday, August 6, 2014

जै श्रीकृष्ण। जै श्रीराधे।

कलम से____

नहीं जानता था
आज मैं अपना
सब कुछ खो बैठूँगा
खोकर सब कुछ
इतना प्रसन्न रहूँगा
जब कुछ अपना है ही नहीं
उसके लिए अब न रोऊँगा
जब भन लागा तेरे संग
मोह मेरा हुआ भंग
भाता तेरा सतसंग।

जै श्रीकृष्ण। जै श्रीराधे।

//surendrapal singh//
08 07 2014



No comments:

Post a Comment