Saturday, August 30, 2014

बुड़ापा ।

कलम से____

सामने से आता हुआ नज़र आ रहा है
तुम्हारे आने में अब देर नहीं है
थोड़ा रुक सको तो रुक जाना
न रुक सको तो फिर आ जाना
आखिर कब तक तुम रुक सकोगे
आना है तुमको चाहे जब चले आना !!!

बुड़ापा !!!

//surendrapalsingh//

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