कलम से____
सो रहे हो क्या?
थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।
रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
बैठो उठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।
अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।
मेरी हथेली पर नाम अपना लिख निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।
चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।
जाग जाओ मरे लिए अब न सो प्रीतम प्रिये
रातरानी है महक रही सोना अभी नहीं जगना है मेरे लिए।
//surendrapalsingh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
सो रहे हो क्या?
थक कर इतना जल्दी क्यों सो जाते हो
अरमान जगा खुद चैन की वंशी बजाते हो।
रात अभी गहराई है नीदं तुम्हें क्यों आई है
बैठो उठो कुछ बात करो याद तुम्हारी आई है।
अपने हाथों में ले कुछ मेरी हथेली पर लिखो
कुछ याद आएतो दो आखर प्यार के लिखो।
मेरी हथेली पर नाम अपना लिख निहाल करो
जान हूँ मैं मुझे जानू कह कर पुकार भर लो।
चंद्रमा चादँनी से है दामिनी बादलों से है
रंग रूप जो है मेरा सिर्फ तेरे लिए है।
जाग जाओ मरे लिए अब न सो प्रीतम प्रिये
रातरानी है महक रही सोना अभी नहीं जगना है मेरे लिए।
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