कलम से____
डूबते सूरज को देख
पल भर के लिए मैं ठहर गया
जहाँ था वहीं खडा रह गया
प्रश्न मन में उठा
डूब कर सूरज कहाँ गया।
शान्त चित्त बैठ
सोचने लगा
पल भर में मुझे महसूस हुआ
सूरज कहीं नहीं गया
बस वो हमारी
आँखों से ओझल हुआ।
आना जाना
उसका नित कर्म हुआ
मैं भी आया हूँ
एक दिन अपनी
राह पकड चला जाऊँगा
सबकी नज़रों से ओझल हो जाऊँगा।
//surendrapalsingh//
http://spsinghamaur.blogspot.in/
डूबते सूरज को देख
पल भर के लिए मैं ठहर गया
जहाँ था वहीं खडा रह गया
प्रश्न मन में उठा
डूब कर सूरज कहाँ गया।
शान्त चित्त बैठ
सोचने लगा
पल भर में मुझे महसूस हुआ
सूरज कहीं नहीं गया
बस वो हमारी
आँखों से ओझल हुआ।
आना जाना
उसका नित कर्म हुआ
मैं भी आया हूँ
एक दिन अपनी
राह पकड चला जाऊँगा
सबकी नज़रों से ओझल हो जाऊँगा।
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