Tuesday, August 19, 2014

आज चलते हैं बहुत दिन बाद गावँ की ओर।

कलम से____

08 20 2014

सुप्रभात दोस्तों। Good morning friends. Let this Wednesday bring new cheers in your life.

आज चलते हैं बहुत दिन बाद गावँ की ओर।

परिवर्तन की बयार चल रही है धीरी रफ्तार से पर चल रही है। जिन्दगी को छू रही है। कुछ लोगों को फायदा पहुँच रहा है। सब अछूते भी नहीं है।

रौशनी रौशन कर रही है अभी थोडे ही सही पर कर रही है। अभी भी एक वर्ग है जो टैक्नोलॉजी का लाभ उठा रहा है। दूसरे आस भरी निगाहों से उनकी ओर देख रहे हैं। एक दिन सूरज उनके घर में भी रौशनी लाएगा।

नई सरकार सपने दिखा रही है। सुदंर है सपनों पर तो सबका अधिकार है। सपने ही तो इन्सान को आगे ले जाते हैं। सपने भी तो आखिर अपने होते हैं।

गांव में आज भी दाता पाता हैं। दोनों में पीढ़ी दर पीढ़ी के मधुर सम्बन्ध भी बने हुए हैं।

आज एक झलक प्रगति और उन पुराने सम्बंधों की।

"ठाकुर साहब की
पुरानी हवेली में
रौनक आ गई है
जब से सोलर लाइट
वहाँ आ गई है।

वैसे तो मुआ ये अन्धेरा
अपनी किस्मत का हिस्सा है
राहत बडी महसूस होती है
चलो हम नहीं किसी की
किस्मत रौशन रहती है।

रहम दिल हैं बहुत
हमारे मालिक
दिवाली उनके घर ही नहीं
हमारे यहाँ भी मनती है।

उनके दरवज्जे से
रौशनी छन के जो आती है
मुनियां उसी में पढ़ती है
ख्वाब कुछ सजोये हैं उसने
लैपटॉप में न जाने वो क्या करती है।

सरकार ने लैपटॉप दिया है
मगर बिजली नहीं है दी
मालिक मेहरबान हैं
थोडी बहुत जो मिलती है
वो उनके सोलर प्लांट से ही मिलती है।

गरीब गरीब ही रहेगा
अमीर अमीर बना रहेगा
सलामत रहें सरकार हमारे
हमारी आस बस उनसे है
वह रहेगें, तो हम सलामत रहेगें
सरकार के सहारे न हम चले हैं, न चलेंगे।"

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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