Sunday, August 31, 2014

अहसास है मुझे शाम से ही तेरी........

कलम से____

अहसास है मुझे शाम से ही तेरी
शाम से ही तेरी
नज़र गली के हर
आने जाने वाले पर लगी रहती है
कान भी
दरवाजे पर
दस्तक की आवाज़
सुनने को तरसा करते हैं.........

क्या करें
हालात के मारे
हम भी हैं
लाख चाहने पर भी
वक्त रहते आ नहीं पाते
हर रोज
जल्दी आने का वादा कर
वादा निभा नहीं पाते......

खाली पेट
बुझे चूल्हे की
परेशानी है
इसको सुलझाने में
लगी पूरी जिंदगानी है ........

देखो शायद
अपने दिन भी बहुरेंगे
कह सब रहे हैं
लाउडस्पीकर लगा कर
तेज़ आवाज़ में
अच्छे दिन आने वाले हैं !!!

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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