Tuesday, August 5, 2014

कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था

कलम से ___

कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली हैं यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।

कली से फूल खुदारा वो एक दिन बनेगें
कत्ल निगाहों से न जाने कितनों का करेगें।

चढती जवानी के आलम की क्या बात है
चर्चा ए आम है शहर में हुस्न लाजबाब है।

दिन हरेक के पलटते हैं मेरा भी एक होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।

खुदा मेहरबान रहे वो हमारे बन के रहेगें
खुली बाहों में आने के उनकी राह हम तकेगें।

//surendrapal singh//

08 06 2014

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