कलम से ___
कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली हैं यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।
कली से फूल खुदारा वो एक दिन बनेगें
कत्ल निगाहों से न जाने कितनों का करेगें।
चढती जवानी के आलम की क्या बात है
चर्चा ए आम है शहर में हुस्न लाजबाब है।
दिन हरेक के पलटते हैं मेरा भी एक होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।
खुदा मेहरबान रहे वो हमारे बन के रहेगें
खुली बाहों में आने के उनकी राह हम तकेगें।
//surendrapal singh//
08 06 2014
http://1945spsingh.blogspot.in/
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
कल ही की बात है जिक्र उनका महफिल में हुआ था
खिलती हुई कली हैं यूँ किसी ने बडे अदब से कहा था।
कली से फूल खुदारा वो एक दिन बनेगें
कत्ल निगाहों से न जाने कितनों का करेगें।
चढती जवानी के आलम की क्या बात है
चर्चा ए आम है शहर में हुस्न लाजबाब है।
दिन हरेक के पलटते हैं मेरा भी एक होगा
उस दिन का इंतजार हम तहेदिल से करेगें।
खुदा मेहरबान रहे वो हमारे बन के रहेगें
खुली बाहों में आने के उनकी राह हम तकेगें।
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