Saturday, August 23, 2014

चाल ही बदल गई हाल बेहाल हुआ जिन्दगी रूक गई नैट क्या खराब हुआ।

चाल ही बदल गई
हाल बेहाल हुआ
जिन्दगी रूक गई
नैट
क्या खराब हुआ।

सूरज चढ़ आसमान गया
दिल मसल कर रह गया
भोर में ही था उठ खड़ा हुआ
सूना आकाश निहारता रहा
पक्षियों की उड़ान देखता रहा
आसपास शोर बढ़ता रहा
दिन धीरे धीरे आगे खिसकता रहा
.....

बस मैं प्रातःकाल में
सुप्रभात न कह सका।

दोस्तों क्षमा करना मुझे
नैट ने आज मुछे पीछे ढ़केल दिया।


//surendrapalsingh//

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