कलम से____
जश्न की रात होगी
सब ऐश कर रहे होगें
कुछ आज ऐसा हो जाए
दिल सब का खुश कर जाए।
इतंजार करेगें बेसबरी से
उस घडी का
नफरत जो है पल रही हवाओं में
शान्त पड जाए
लगी है आग जो दिल में उसे ठंडक आ जाए।
जश्न का माहौल और रगीनं हो जाए
दुश्मन मेरी जाँ का मेरी बाहों में आ जाए।
//surendrapalsingh//
जश्न की रात होगी
सब ऐश कर रहे होगें
कुछ आज ऐसा हो जाए
दिल सब का खुश कर जाए।
इतंजार करेगें बेसबरी से
उस घडी का
नफरत जो है पल रही हवाओं में
शान्त पड जाए
लगी है आग जो दिल में उसे ठंडक आ जाए।
जश्न का माहौल और रगीनं हो जाए
दुश्मन मेरी जाँ का मेरी बाहों में आ जाए।
//surendrapalsingh//
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