Friday, August 22, 2014

तनहाई पूछती है परछाईं से ।

कलम से____

तनहाई पूछती है परछाईं से
तुम कहाँ हो यहाँ हो फिर वहाँ हो
मिलकर भी नहीं मिलती हो
कैसी यह आखँ मिचौली है
कुछ तो कहो यह क्या है
आखिर नजर क्यों चुराती फिरती हो।

//surendrapal singh//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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