Wednesday, August 20, 2014

साथ मेरा छूटा डाली से मैं टूटा सूख गया था।

कलम से____

साथ मेरा छूटा
डाली से मैं टूटा
सूख गया था
डाली से हाथ छूट गया था।

होना है
यह सबके साथ
मुरझा कर गिर जाओगे
पग पथ थक जाओगे
फिर अपनी शाख से टूट जाओगे।

प्रकृति का नियम यही है
तुम इससे भिन्न नहीं हो
मन पक्का कर लो
दुखी होने का यह कारण नहीं है।

अश्रु न बहाना, मेरे प्यारो
पौधा नया लगाना यारो
नई कोपलें आएगीं
मन सबका हर ले जाएगीं।

//surendrapalsingh//

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