Saturday, August 2, 2014

क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के शहर में

कलम से____

क्यों ले आए हो मुझे मुर्दों के शहर में
इनसां नजर मुझे अभी तक आए नहीं हैं।

कैसे तबीयत लगेगी किसी की यहाँ
दर्द बांटने को कोई आता नहीं यहाँ।

रौशनी भी बनी है परेशानी की सबब यहाँ
अधेंरे अधिक हैं बहुत रोशनी तलाशते यहाँ।

किरण आशा की बस एक नजर आती है
पास आकर पूछता है कोई आप कैसे हैं यहाँ।

//surendrapalsingh//
08 02 2014

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