Friday, July 25, 2014

कलम से _ _ _ _

राम आसरे,
मै क्या यह दुनिया जहान है
राम के आसरे राम सहारे।

याद आ रही है
बरसात की सुबह-शाम
और बरसात की रात
बारिश के साथ बरसती
राम की गुड़िया की सौगात
लाल रंग की मखमली चिकनी-चिकनी
जिसको मिलता राजा राम का  आशीर्वाद ।

बारिश तो अभी भी होती है
पर अब न रही वो पहली जैसी बात
राम की गुड़िया की भी न अब होती कोई बात
लगता है हम भूल रहे है
राम के आसरे को
न कोई रहे राम के साथ
फिर भी करते जब मिलते
राम राम
जब जाते मुँह से निकले
हे राम ।

//surendrapalsingh//

07262014

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