कलम से _ _ _ _
दिनभर कल लेनदेन का व्यापार खूब हुआ है,
तुमको मैने यह दिया और कह कर यह लिया है।
वायदे अपने फायदे के लिए किए हैं,
समझ आए अगर तो बात यह बडी है।
देशहित की बात करी है,
पाकेट अपनी भी भरी है।
सदियों से यह होता ही रहा है,
बुरा लगे पर बुरा नहीं होता है।
तुम खुश होगे तो हम भी खुश होंगे,
जब दोनों खुश तो गम कंहा रहेगें।
//surendrapal singh//
07212014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
दिनभर कल लेनदेन का व्यापार खूब हुआ है,
तुमको मैने यह दिया और कह कर यह लिया है।
वायदे अपने फायदे के लिए किए हैं,
समझ आए अगर तो बात यह बडी है।
देशहित की बात करी है,
पाकेट अपनी भी भरी है।
सदियों से यह होता ही रहा है,
बुरा लगे पर बुरा नहीं होता है।
तुम खुश होगे तो हम भी खुश होंगे,
जब दोनों खुश तो गम कंहा रहेगें।
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