कलम से _ _ _ _
मौसम की दरकार
बीयर बार पर,
एक बार,
चल मेरे यार।
तन बदन में लगी आग,
को शांत कर मेरे यार।
बादल आएगें जाएगें,
जब बरसेंगें तब देखे जाएगें,
नाराज चल रहा है ऊपर वाला,
मान जाएगी मेरी रूठी सरकार।
//surendrapal singh//
07202014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
मौसम की दरकार
बीयर बार पर,
एक बार,
चल मेरे यार।
तन बदन में लगी आग,
को शांत कर मेरे यार।
बादल आएगें जाएगें,
जब बरसेंगें तब देखे जाएगें,
नाराज चल रहा है ऊपर वाला,
मान जाएगी मेरी रूठी सरकार।
//surendrapal singh//
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