कलम से _ _ _ _
चाँदनी रात में सुनके तेरी बाँसुरी की आवाज,
तेरे कदमों में गिरने को दिल करता है।
सीने में तेरे प्यार की इक टीस सी उठती है,
पास आने को तेरे दिल मचल जाता है।
सुनके तेरी आवाज पागल से हुये जाते हैं,
हर वक्त आसपास तेरे रहने दिल करता है।
मेरो गर्म सासों को तेरी सासों का अहसास,
तुझसे लिपट जाने को मन करता है।
तेरी एक आवाज पर बहके से चले आते हैं,
फिर न कभी जाने को मन करता है।
//surendrapal singh//
07202014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
चाँदनी रात में सुनके तेरी बाँसुरी की आवाज,
तेरे कदमों में गिरने को दिल करता है।
सीने में तेरे प्यार की इक टीस सी उठती है,
पास आने को तेरे दिल मचल जाता है।
सुनके तेरी आवाज पागल से हुये जाते हैं,
हर वक्त आसपास तेरे रहने दिल करता है।
मेरो गर्म सासों को तेरी सासों का अहसास,
तुझसे लिपट जाने को मन करता है।
तेरी एक आवाज पर बहके से चले आते हैं,
फिर न कभी जाने को मन करता है।
//surendrapal singh//
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