कलम से _ _ _ _
नभ से जब पहली बूंद गिरेगी,
कलुआ की किस्मत तब खिल उठेगी,
धान की पौध तैय्यार है जो खडी,
अच्छी फसल की आस में खेतों में रुपेगी।
अबके रनिया का व्याह रचाना है,
त्ययारी पूरी शादी की करनी है,
रामू का इस साल कालेज भी है,
ऊसकी बाहर की तय्यारी करनी है।
आस लगी है बदरा बरसेंगें खूब,
होगी अबके फसल मजबूत,
चल पडेगें रुके पडे हैं जो काम,
समाज में भी बना रहेगा नाम।
सालों साल से एसे ही चला आरहा है,
एक साल नफा एक साल नुकसान हो रहा है,
अबके ऐसा नही रहेगा ऊपर बाला मदद करेगा,
नीचेवाले नीच हो रहे इनके सहारे कौन रहेगा।
//surendrapal singh//
07192014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
नभ से जब पहली बूंद गिरेगी,
कलुआ की किस्मत तब खिल उठेगी,
धान की पौध तैय्यार है जो खडी,
अच्छी फसल की आस में खेतों में रुपेगी।
अबके रनिया का व्याह रचाना है,
त्ययारी पूरी शादी की करनी है,
रामू का इस साल कालेज भी है,
ऊसकी बाहर की तय्यारी करनी है।
आस लगी है बदरा बरसेंगें खूब,
होगी अबके फसल मजबूत,
चल पडेगें रुके पडे हैं जो काम,
समाज में भी बना रहेगा नाम।
सालों साल से एसे ही चला आरहा है,
एक साल नफा एक साल नुकसान हो रहा है,
अबके ऐसा नही रहेगा ऊपर बाला मदद करेगा,
नीचेवाले नीच हो रहे इनके सहारे कौन रहेगा।
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