कलम से _ _ _ _
शिकन तेरे चेहरे की खुदबयानी कर रही है
मुश्किल में हो तुम यह कहानी कह रही है।
कहदे दिल की बात दुख तेरा कम हो जाएगा
जो अबतलक न हुआ हो देख वो हो जाएगा।
बहुत से लोग ऐसे है जो साथ तेरे हो लेगें
दुख तेरे बहुत अपने है कुछ तो कम होंगे।
न मिलबांट मुझसे पर बाटेंगा क्या दिलदार से
इनसान ही इनसान के गम खडा होगा यही जानले तू।
मान जा मेरी जिद पर न अड कुछ भला ही होगा
नहीं मानेगा कहना मेरा नुकसान तू अपना ही करेगा।
मुश्किल में हो तुम यह कहानी कह रही है।
कहदे दिल की बात दुख तेरा कम हो जाएगा
जो अबतलक न हुआ हो देख वो हो जाएगा।
बहुत से लोग ऐसे है जो साथ तेरे हो लेगें
दुख तेरे बहुत अपने है कुछ तो कम होंगे।
न मिलबांट मुझसे पर बाटेंगा क्या दिलदार से
इनसान ही इनसान के गम खडा होगा यही जानले तू।
मान जा मेरी जिद पर न अड कुछ भला ही होगा
नहीं मानेगा कहना मेरा नुकसान तू अपना ही करेगा।
//surendrapal singh//
07192014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment