कलम से _ _ _ _
"मेघ आमंत्रण"
आज भी तुम न आए
नैन बिछाए बैठा मैं रहा
और न आए तुम।
मिलन की पहली रात का
बारिश की पहली बूंद का
रहता है बहुत इंतजार
आज भी न आए तुम।
करते क्यों हो
तुम बार बार निराश।
धनधोर घटा छाई
आस बहुत जगाई
बरसोगे अबके जोरदार
बिजली आसमान में कडकी
हवाओं के झोकों के साथ बह क्या गए
लौट फिर न आए
आज भी न आए तुम।
आना खूब बरसना
कोई न दे उलाहना
अपने हो कर बरसना
शातं न हो जाए धरा
तब तक बरसना।
पेड पोधों को
सूखी दूब को
पशुओं को
पक्षियों को
मोर नचने न लगे
कुहू कुहू का न सुनाई पडे राग
तब तक बरसना।
उमस भरी शाम को
मेरा महबूब भी
आने से कर देता है इनकार
मौसम सुहावना होगा
तब आएगा मेरा यार
मौसम रंगीन न हो जाय
हवा में मासूमियत न हो जाय
तब तक बरसना
महबूब मिलन को होजाए त्यैयार
इतना तो कम से कम करना।
अबके जो आना
तो तबीयत से बरसना।
"मेघ आमंत्रण"
आज भी तुम न आए
नैन बिछाए बैठा मैं रहा
और न आए तुम।
मिलन की पहली रात का
बारिश की पहली बूंद का
रहता है बहुत इंतजार
आज भी न आए तुम।
करते क्यों हो
तुम बार बार निराश।
धनधोर घटा छाई
आस बहुत जगाई
बरसोगे अबके जोरदार
बिजली आसमान में कडकी
हवाओं के झोकों के साथ बह क्या गए
लौट फिर न आए
आज भी न आए तुम।
आना खूब बरसना
कोई न दे उलाहना
अपने हो कर बरसना
शातं न हो जाए धरा
तब तक बरसना।
पेड पोधों को
सूखी दूब को
पशुओं को
पक्षियों को
मोर नचने न लगे
कुहू कुहू का न सुनाई पडे राग
तब तक बरसना।
उमस भरी शाम को
मेरा महबूब भी
आने से कर देता है इनकार
मौसम सुहावना होगा
तब आएगा मेरा यार
मौसम रंगीन न हो जाय
हवा में मासूमियत न हो जाय
तब तक बरसना
महबूब मिलन को होजाए त्यैयार
इतना तो कम से कम करना।
अबके जो आना
तो तबीयत से बरसना।
//surendrapal singh//
07192014
http://1945spsingh.blogspot.in/2014/07/blog-post.html
and
http://spsinghamaur.blogspot.in/
No comments:
Post a Comment